हज़ारों ख्वायिशें पल कर मर जाती है
दर्द हवाएं आँखों से टकरा जाती है..फिर भी सांसे चलती है..
ये ज़िन्दगी यूँ ही लहराती है,
साहिलों में तनहा रेत छोड़ जाती है..
मुकम्मल कहीं से नहीं..
न गम..न हसीन ज़िन्दगी..
हर लम्हा यूँ ही कट जाती है..
फिर भी ये सांसें चलती है.....मनोज
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