मन की गलियों से
Thursday, 7 April 2011
मैं थक कर हार गया
मैं थक कर हार गया,
तेरे आसमा को देखते-देखते,
मेरे उम्र का हर लम्हा गुज़र
गया
तेरा इंतजार करते-करते,
बस झूठ है तेरी हर आदत,
तू बसा नहीं है कहीं,
आस-पास मेरे.....
मनोज
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