पुरानी गली का चाँद आज फिर रौशन हुआ,
वो तबीयत से छूटे हैं अभी-अभी, दिन में दीदार दो बार हुआ,
खुशियाँ आई मेरे चमन में भी, इंकार इकरार इस बार भी हुआ....
पुरानी गली का चाँद आज फिर रौशन हुआ,
उम्मीद से ज्यादा हुश्न बरसा,
गली में फिसलन बार-बार हुआ,
वो महकते रहे इधर-उधर,
हर पल में दिल की धड़कन सौ बार हुआ,,
पुरानी गली का चाँद आज फिर रौशन हुआ,...मनोज
आपकी सुन्दर रचना पढ़ी, सुन्दर भावाभिव्यक्ति , शुभकामनाएं.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने की अनुकम्पा करें.