Friday 18 November 2011

इश्क आईना नहीं.
जो टूट कर बिखर जाये..,
हाँ, सिलवटे जरुर आती है ज़िन्दगी में,
साथ यूँ नहीं छोड़ा करते,
उम्रभर जो तुम्हारा था दिल से..
मु की बातों से दिल  तोडा नहीं करते.
अश्क है तेरी ख़ुशी का हर सबब..
अरमानो के रूठ जाने से यूँ बहा नहीं करते..
हाँ, सिलवटे जरुर आती है ज़िन्दगी में,
साथ यूँ नहीं छोड़ा करते...


इक बार कह दे तू कि,
रुहु इश्क़ जानता है..
हाँ फिर, मैं भी कह दूँ तुझे..
इश्क़ रब मानता है...

दुनिया की तलवार, 
चाहे कितने भी हो पहरे..
राह इश्क़ की, सब रब जानता है..,

मुकम्मल इश्क़ नहीं होता...-
ये कहना छोड़ दो दरिंदो...
इश्क़ को खुदा भी अपना रब मानता है...