तेरी नादानी से इतनी है इल्तीज़ा
इक बार घर लौट कर देख जा..
क्या खोया तूने, इस दरमियां
क्या पाने की चाहत में..
कुछ खाश नहीं तेरे घर में
बस !
इक बार घर लौट के देख जा...
-मनोज
इक बार घर लौट कर देख जा..
क्या खोया तूने, इस दरमियां
क्या पाने की चाहत में..
कुछ खाश नहीं तेरे घर में
बस !
इक बार घर लौट के देख जा...
-मनोज