Sunday 26 February 2012

घर लौट के देख जा.

तेरी नादानी से इतनी है इल्तीज़ा
इक बार घर लौट कर देख जा..
क्या खोया तूने, इस दरमियां
क्या पाने की चाहत में..
कुछ खाश नहीं तेरे घर में
बस !
इक बार घर लौट के देख जा...

-मनोज