Wednesday, 21 December 2011

उड़कर देख लो मन से

लफ़्ज़ों की नज़र से निकल कर,
दुनिया को देख लो मन से..
आवाज़ दो गहरे आसमा में..
फिर उड़कर देख लो मन से,


इधर दुनिया बड़ी ही मायूस है,
आँखों  में है कई जलजले..
ज़रा पानी छिड़क लो चहरे पर..
फिर सपने देख लो मन से,

लफ़्ज़ों की नज़र से निकल कर,
दुनिया को देख लो मन से.. 
----मनोज---

No comments:

Post a Comment