फिर बहता हुआ.
किनारों से दूर चला,
बिन पतवार के.
खुले आसमा में यूँ चला,
सख्त जमी !
नमकीन पानी में..
तलाश करने चला,
फिर बहता हुआ.
किनारों से दूर चला....
जो भी मिला-
इन राहों में !
मिलते-मिलाते आगे बड़ा,
किनारो से दूर चला....
-मनोज-
किनारों से दूर चला,
बिन पतवार के.
खुले आसमा में यूँ चला,
सख्त जमी !
नमकीन पानी में..
तलाश करने चला,
फिर बहता हुआ.
किनारों से दूर चला....
जो भी मिला-
इन राहों में !
मिलते-मिलाते आगे बड़ा,
किनारो से दूर चला....
-मनोज-
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