शान्त और शून्यबोध
मन की हर पगदंडी
अलशाए मस्तिष्क चित्रों में,
सुनी है जिन्दगी,
बस अब-
चुटकी भर माटी फैर दो
मेरे माथे पर ,
फिर लगा दूँ आँखों में
सूर्य की पाबंदी
मन की हर पगदंडी
अलशाए मस्तिष्क चित्रों में,
सुनी है जिन्दगी,
बस अब-
चुटकी भर माटी फैर दो
मेरे माथे पर ,
फिर लगा दूँ आँखों में
सूर्य की पाबंदी
No comments:
Post a Comment