Monday 4 April 2011

ज़रा-ज़रा सी

ये छुवन ज़रा-ज़रा सी,
तेरे कोमल अविरालों की,
मुग्द सुगंध, केश लटाएं-
तेरी उलझन ख़्यालों की,
पद-पथिक हुआ न कोई-
पीये नयन प्यालों की,
साँझ की करवट हुआ न मेरा-
दूर अक्षित सवालों की,
ये छुवन ज़रा-ज़रा सी-
तेरे  कोमल अविरालों की....

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